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भारत के नए प्रयास ने बदली ‘जेन नेक्स्ट डेमोक्रेसी’ के क़ई नुमाइंदों की धारणाएं

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Indian Council for Cultural Relations: “भारत को अपने लोकतंत्र की कहानी बेहतर तरीके से सुनाना और बताना चाहिए. अपनी यात्रा के दौरान जो देखा और अनुभव किया उसने भारत के प्रति मेरी कई धारणाएं बदल दीं.” यह कहना है कैरेबियाई देश जमैका की युवा सांसद रोडा मोय क्रॉफोर्ड का जो विदेश मंत्रालय की नई पहल जेन नेक्स्ट डेमोक्रेसी के तहत भारत दर्शन के दौरे पर हैं.

यह बात कहने वाली रोडा अकेली नहीं हैं. यही विचार उनके साथ ही डेमोक्रेसी जेन नेक्स्ट कार्यक्रम के तहत आए 8 देशों के 8 युवा राजनेताओं और विभिन्न क्षेत्रों में उभरते नेतृत्व वाले लोगों के भी हैं. भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद के न्यौते पर भारत आए इस दल की अगुवाई कर रहे श्रीलंका सरकार में आवास राज्यमंत्री और युवा सांसद जीवन कुमारवेल थोन्दमन ने भी कहा कि पहली बार भारत को इस तरह करीब से देखने और समझने का मौका मिला. करीब 27 वर्षीय इस युवा नेता ने माना कि दक्षिण भारत में 15 साल बिताने के बावजूद उनकी बहुत सी धारणाएं इस यात्रा के बाद बदली हैं. 

एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौके पर यह प्रयास शुरू किया गया है. योजना है 75 देशों के युवा सांसदों को हम भारत आमंत्रित करें और उनके माध्यम से दुनिया को अपनी लोकतांत्रिक परंपरा और मूल्यों के बारे में बताएं. यह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकी भारत को अखबारों या वेबसाइटों के जरिए नहीं जाना जा सकता है.

भारत ने जेन नेक्स्ट डेमोक्रेसी कार्यक्रम के इस पहले अध्याय के तहत पड़ोसी देश भूटान और श्रीलंका के अलावा मलेशिया, तंजानिया, उज़्बेकिस्तान, पोलैंड और स्वीडन आदि देशों से युवा नेतृत्व के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था. इसमें राजनेताओं के अलावा संगीत, साहित्य, पत्रकारिता आदि क्षेत्रों के भी प्रतिनिधि शामिल थे. कार्यक्रम के तहत इस दल ने 25 नवंबर से 2 दिसंबर तक गुजरात, उत्तरप्रदेश और दिल्ली के कई इलाकों का दौरा किया. इस दल ने जहाँ स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी का दौरा किया वहीं भारत के क़ई युवा राजनेताओं और मंत्रियों से भी संवाद किया. 

गुजरात में इस दल ने जहाँ अमूल का दुग्ध उत्पादन देखा वहीं अहमदाबाद स्थित इसरो केंद्र का भी दौरा किया. भारत से प्रभावित इन विदेशी प्रतिनिधियों ने माना कि अपने देश लौटने के बाद वो बहुत सी चीजों को अपने देश में भी लागु करना चाहेंगे. रोडा और पोलैंड की युवा सांसद किंगा मैग्डलीना गयेवस्का ने कहा कि भारत आने से पहले यहाँ लोकतंत्र और लोगों में भेदभाव को लेकर उनके मन में अनेक भ्रांतियां थी. मगर इस प्रयास ने ना केवल उन धारणाओं को बदला बल्कि लोकतांत्रिक देशों के युवा प्रतिनिधियों को जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

ध्यान रहे कि इस योजना का बीज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए उस भाषण से पड़ा था जिसमें उन्होंने भारत को लोकतंत्र क़ा जनक बताया था. भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद अध्यक्ष ने माना कि प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य को आगे बढाते हुए तय किया गया कि जेन नेक्सट डेमोक्रेसी नेटवर्क के तहत दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में उभरते नेतृत्व के साथ संवाद स्थापित किया जाए. उन्हें भारत की समृद्ध विरासत और प्रगति के बारे में बताया जाए.

हालांकि 75 देशों से प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने की कवायद में पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी मुल्कों को  शामिल नहीं किया गया है. इस बारे में पूछे जाने पर डॉ सहस्रबुद्धे न कहा कि यह लोकतांत्रिक देशों के साथ व्यापक संवाद की क्वायद है. इसको एक -दो किसी छोटे देश से जोड़कर नहीं देखा जा सकता.

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