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Delhi NCR Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के राज्यों को शुक्रवार को निर्देश दिए कि वे वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन संबंधी आयोग के आदेशों को लागू करें. चीफ जस्टिस एन वी रमणा, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्य कांत की विशेष पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा उठाए कदमों का भी संज्ञान लिया और केंद्र, दिल्ली और एनसीआर के राज्यों से निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया.
आयोग ने एक हलफनामे में पीठ को बताया कि दिल्ली एवं एनसीआर में वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए पांच सदस्यीय एक प्रवर्तन कार्य बल गठित किया गया है. हलफनामे में कहा गया है कि 17 उड़न दस्तों का गठन किया गया है, जो न्यायालय और आयोग के आदेशों के तहत विभिन्न कदमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे और 24 घंटों में इनकी संख्या बढ़ाकर 40 की जाएगी.
सुनवाई के दौरान हल्का-फुल्का क्षण
सुनवाई के हल्का-फुल्का क्षण तब आया जब उत्तर प्रदेश सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने गजरौला, बागपत जैसे इलाकों में उद्योग चलाने की अनुमति मांगते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश हवा के बहाव के क्षेत्र में है. वहां से दिल्ली की तरफ हवा नहीं आती है. इसलिए उस तरफ से दिल्ली में प्रदूषण आने का सवाल ही नहीं उठता.
यूपी के वकील ने कहा कि प्रदूषित हवा पाकिस्तान की तरफ से आ रही है. इस पर चुटकी लेते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “क्या आप यह चाहते हैं कि पाकिस्तान के उद्योगों को बंद करवा दिया जाए?” कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार को जो भी कहना है, कमीशन के सामने कहे. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 10 दिसंबर को होगी.
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह उन निर्देशों के खिलाफ अपनी शिकायत को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन संबंधी आयोग के पास जाए, जिनमें कहा गया है कि एनसीआर में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल नहीं करने वाले उद्योगों को एक दिन में केवल आठ घंटे चालू रखने की अनुमति दी जाएगी.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि इस मौसम में गन्ने की पेराई का काम लगातार चलता है और ये निर्देश किसानों को नुकसान पहुंचाएंगे.
न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को प्रदूषण काबू करने के लिए 24 घंटे में सुझाव देने का निर्देश देते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में खराब होती वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा.
शीर्ष अदालत पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और कानून के छात्र अमन बांका द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को पराली हटाने की मशीन मुफ्त में उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की थी.
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