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JNU Documentary Controversy: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) प्रशासन ने शनिवार को छात्र संघ को ‘राम के नाम’ (Ram Ke Naam)डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने का कार्यक्रम रद्द करने की सलाह देते हुए कहा कि परिसर में इस तरह की अनधिकृत गतिविधि सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है.’’ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) ने हालांकि कहा कि वह शनिवार को रात नौ बजे डॉक्यूमेंट्री दिखाने के कार्यक्रम पर आगे बढ़ेगा.
डॉक्यूमेंट्री के निर्माता आनंद पटवर्धन ने भी छात्रों को एकजुटता का संदेश भेजा और कहा कि उन्हें फिल्म दिखाने का पूरा अधिकार है क्योंकि इसे केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से ‘यू’ प्रमाणपत्र मिला है.
जेएनयू रजिस्ट्रार ने एक सर्कुलर में कहा, ‘‘अधोहस्ताक्षरी के संज्ञान में आया है कि जेएनयूएसयू के नाम पर छात्रों के एक समूह ने टेफ्लास (छात्र संघ हॉल) में आज रात 9: 30 बजे एक डॉक्यूमेंट्री / फिल्म ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग के लिए एक पर्चा जारी किया है.’’ विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि इस आयोजन के लिए उससे कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई है.
सर्कुलर में कहा गया है, “इस तरह की अनधिकृत गतिविधि विश्वविद्यालय परिसर के सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ सकती है. संबंधित छात्रों / व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे प्रस्तावित कार्यक्रम को तुरंत रद्द कर दें, ऐसा न करने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा सकती है. छात्रों को यह भी निर्देश दिया जाता है कि वे इस पर्चे से प्रभावित न हों, जो अनधिकृत और अनुचित है.”
पटवर्धन का 1992 का यह डॉक्यूमेंट्री अयोध्या में राम मंदिर बनाने के अभियान से संबंधित है. जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि उन्होंने यूनियन हॉल में ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग निर्धारित की है. उन्होंने कहा, “इस तरह आरएसएस-बीजेपी की कठपुतली संस्था एक परिपत्र के साथ सामने आई है कि इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाना अनधिकृत है और यह सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है. ‘राम के नाम’ में सच्चाई दिखाई गई है कि बीजेपी इस देश में क्या कर रही है और दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों द्वारा इस धर्मनिरपेक्ष देश में किस तरह सांप्रदायिक नफरत फैलाई जा रही है.”
उन्होंने कहा, “जेएनयूएसयू किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी. यह कार्यक्रम होगा और हम जेएनयू छात्र समुदाय से इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए रात नौ बजे बड़ी संख्या में एकत्र होने का अनुरोध करते हैं.”
जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि प्रशासन यह तय नहीं कर सकता कि छात्र क्या देखेंगे. उन्होंने कहा, “छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी होगी. हमने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित करने का फैसला किया. विश्वविद्यालय प्रशासन यह तय नहीं कर सकता कि छात्र क्या देखेंगे. डॉक्यूमेंट्री सार्वजनिक रूप से तथा यूट्यूब पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है और इसने पुरस्कार भी जीते हैं.”
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