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भुवनेश्वर में 26 जनवरी की परेड के लिए बन रहा है एक किलोमीटर लंबी पेंटिंग, जानें- क्या है खास?

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26 January की परेड (Parade) में दिल्ली (Delhi) में आज़ादी के आंदोलन से जुड़ी एक किलोमीटर लंबी पेंटिंग (painting) दिखेगी. इस पेटिंग को भुवनेश्वर (Bhubaneswar) में बनाया जा रहा है. पेंटिंग तैयार होने के बाद उसे केंद्रीय कला और संस्कृति मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा. इस पेंटिंग में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे लोगों के त्याग, बलिदान और शौर्य को प्रदर्शित किया गया है. इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) और कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) ने नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (NGMA), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के साथ एक समझौता किया है. केंद्र सरकार  के साथ मिलकर KIIT और KISS आदिवासी कला, शिल्प, कहानियों और संस्कृति पर रिसर्च करेगी. साथ ही  कलाकृतियों की प्रदर्शनियों, संगोष्ठियों, सम्मेलनों और जनजातीय कारीगरों के आदान-प्रदान के जरिए संरक्षित, सुरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त रूप से काम भी होगा.

इस कार्यक्रम के तहत, NGMA ने KIIT और KISS के साथ मिलकर ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के वीर जीवन और संघर्ष का जश्न मनाने के लिए छह दिवसीय मेगा आर्टिस्ट वर्कशॉप – ‘कला कुंभ’ KISS में आयोजित किया गया. यह कार्यशाला भारत में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम या जो 12 दिसंबर से शुरू और आज यह कार्यक्रम ख़त्म हो गया.

क्या है पेंटिंग की खासियत

यह कार्यशाला अद्वैत गडनायक, महानिदेशक, NGMA की प्रत्यक्ष देखरेख में चलाए जा रहे हैं. इसका उद्देश्य रचनात्मक रूप से भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय गौरव की विरासत 75 मीटर की 5 स्क्रॉल पर प्रदर्शित करना है, जो गणतंत्र दिवस समारोह 2022 का एक अभिन्न अंग बनेगी. गडनायक ने बताया कि कार्यशाला संस्कृति मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच एक अद्वितीय सहयोग का प्रतीक है और इसी तरह की कार्यशालाएं देश के अन्य हिस्सों में भी आयोजित की जाएंगी. इसका उद्देश्य भारत के विविध भौगोलिक स्थानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वदेशी और समकालीन दृश्य कला प्रथाओं की हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना है. 

भारत के संविधान में रचनात्मक दृष्टांतों से भी प्रेरणा ली जाएगी, जिसमें नंदलाल बोस और उनकी टीम द्वारा चित्रित कलात्मक तत्वों ने एक विशिष्ट अपील प्रदान की है.  यह भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान के बारे में प्रगतिशील सभी का एक अवतार होगा, जिसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर प्रमुखता से प्रतिनिधित्व करना है.

‘ओडिशा के लिए गर्व की बात’

ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्व और आंध्र प्रदेश सहित पूरे भारत के कलाकार कला के स्वदेशी रूपों जैसे पट्टचित्र, तालपत्र चित्र, मंजुसा, मधुबनी और जादूपतुआ को दर्शाते हुए कलात्मक अभिव्यक्तियों के साथ भाग ले रहे हैं. इस दौरान KIIT और KISS की ओर से कलाकारों के लिए रहने, खाने पीने और आने जाने का इंतज़ाम किया गया है.

KIIT और KISS के संस्थापक  और बीजेडी के सांसद डॉ अच्युत सामंत ने ABP न्यूज़ से कहा कि ओडिशा के लिए गर्व की बात है कि KIIT और KISS में इस तरह की एक मेगा कलात्मक कार्यशाला आयोजित की गई है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होना KIIT और KISS के लिए सौभाग्य की बात है.

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