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नईदिल्ली, देश के विभिन्न राज्यों में बढ़ रहे टिड्डियों के हमले से निपटने के लिए अब भारतीय वायुसेना को जिम्मेदारी दी गई है। जिसके तहत वायुसेना के हेलिकॉप्टर्स पर छिड़काव के उपकरण लगाए जाएंगे। जो प्रभावित इलाकों में छिड़काव कर टिड्डियों को खत्म कर देंगे। बता दें कि कृषि मंत्रालय टिड्डियों से निपटने के लिए उच्च शक्ति वाले छिड़काव उपकरण का आयात कर रहा है। जिन्हें भारतीय वायुसेना के पांच एमआई-17 हेलीकॉप्टरों पर लगाया जाएगा जो टिड्डियों के झुंडों पर छिड़काव कर खत्म कर देंगे।
विमानन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय वायुसेना के पांच एमआई-17 हेलीकाप्टरों पर लगाए जाने के लिए यूरोपीय संघ से एक उच्च-शक्ति छिड़काव उपकरण को आयात किया जा रहा है। विभिन्न मंत्रालयों, आईएएफ, सेना विमानन कोर और उद्योग के बीच करीबी सहयोग से हमें 27 वर्षों में सबसे खराब टिड्डियों के हमले के खिलाफ जीतने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि एक सशक्त समिति हेलीकॉप्टर कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है और जल्द ही एक समझौते की उम्मीद है, जो डीजीसीए की मंजूरी के अधीन है। मंजूरी मिलने बाद इन्हें आयात किया जाएगा और हेलीकॉप्टरों पर लगाया जाएगा।
विमानन मंत्रालय ने पिछले महीने कृषि मंत्रालय को च्एंटी-लोकस्ट ऑपरेशनज् (टिड्डियों के खिलाफ अभियान) के लिए स्प्रे ड्रोन के इस्तेमाल की अनुमति दी थी। अधिकारी ने कहा कि एक अंतर-मंत्रालयीय अधिकार प्राप्त समिति ने बोली लगाने वालों के साथ वार्ता की और पांच ड्रोन कंपनियों को कार्य आदेश जारी किए गए। उन्होंने कहा कि ड्रोन-स्क्वाड अगले हफ्ते की शुरुआत में टिड्डियों के हमले से प्रभावित बाड़मेर, फलोदी, नागौर और बीकानेर पहुंचेंगे।
अधिकारी ने आगे कहा कि दो तीन वर्षों में, जैसे-जैसे मांग बढ़ती है और ड्रोन की कीमतें गिरती हैं। हमें उम्मीद हैं कि हमारे यहां गांव-आधारित उद्यमी आगे आएंगे, जो फसल की मैपिंग, एनालिटिक्स, उपज सुधार सलाह और छिड़काव के लिए ड्रोन सेवाएं प्रदान करेंगे।