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हरिद्वार धर्म संसद पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस, 10 दिन बाद होगी सुनवाई

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Dharma Sansad Hate Speech Row: हरिद्वार धर्म संसद और दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में दिए गए भड़काऊ भाषणों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि इन कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा भरी बातें कही गईं. लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने आज उत्तराखंड सरकार और दिल्ली पुलिस से याचिका पर जवाब मांगा. हालांकि, कोर्ट ने अलीगढ़ में 23 जनवरी को होने जा रहे धर्म संसद पर अपनी तरफ से रोक लगाने से मना कर दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इसके लिए राज्य सरकार को ज्ञापन दे.

चीफ जस्टिस की बेंच में हुई मामले की सुनवाई

पत्रकार कुर्बान अली की याचिका में 17 दिसंबर को हरिद्वार में हुई धर्म संसद और 19 दिसंबर को दिल्ली में हुए एक और कार्यक्रम की जानकारी दी गई थी. याचिका में बताया गया था कि इन दोनों कार्यक्रमों में जिस तरह के भाषण दिए गए, वह आईपीसी की कई धाराओं के खिलाफ थे. इनमें वक्ताओं ने खुलकर मुस्लिम समुदाय के संहार की बातें कहीं. लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है. याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सोमवार को मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. इसके बाद आज यह मामला चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और हिमा कोहली के बेंच के सामने लगा.

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल हुए पेश

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कहा कि इन कार्यक्रमों में जो कुछ भी हुआ वह न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि संवैधानिक मर्यादाओं के भी खिलाफ है. इस समय कई राज्यों में चुनाव होने हैं. ऐसे में इस तरह की भड़काऊ बातें कहने वाले लोगों को खुला छोड़ना नुकसानदेह हो सकता है. इन्हें हिरासत में लिया जाना चाहिए.” सिब्बल ने यह भी कहा कि कोर्ट उत्तराखंड सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करे. यह पूछे कि उसने मामले में एफआईआर दर्ज करने के अलावा कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है.
 
3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे हैं चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा, “यह एक ऐसा मामला है जिसे हम सुनना चाहते हैं. लेकिन हमें जानकारी मिली है कि इसी तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच के सामने लंबित है. ऐसे में हमें यह देखना होगा कि क्या हम यह सुनवाई कर सकते हैं.” मामले में पक्ष रखने के लिए आवेदन लगा चुके कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और वकील कलीश्वरम राज ने जजों को बताया कि जिन मामलों के लंबित होने की बात कही जा रही है, वह अलग है.

इंदिरा जयसिंह ने बताया कि गौ तस्करी के आरोप में देश भर में हो रही भीड़ की हिंसा पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था. उसके पालन का भी सवाल कुछ याचिकाओं में उठाया गया है. लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि धर्म संसद को लेकर दाखिल यह मामला पहले से लंबित किसी मामले से जुड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर नोटिस जारी किया 

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर नोटिस जारी कर दिया. सुनवाई के अंत में कपिल सिब्बल ने 23 जनवरी को अलीगढ़ में होने जा रही धर्म संसद पर रोक लगाने की मांग की. चीफ जस्टिस ने इस पर सीधे कोई आदेश देने से मना करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता राज्य सरकार को ज्ञापन दे. याचिकाकर्ता सरकार को यह बताए कि यह कार्यक्रम किस तरह से कानून के खिलाफ है. 10 दिन बाद जब मामले की सुनवाई होगी, तब इस बारे में आगे चर्चा की जाएगी.

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