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भारतीयों की आवाज के साथ सुर मिलाने के लिए Koo पर आया स्नैपडील

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भारत में ई-कॉमर्स की बिक्री 18 प्रतिशत सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ रही है. काफी संख्या में छोटे क़स्बों वाला भारत इस विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. देशभर के टियर टू और टियर थ्री शहरों में खरीदारी के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा है और खरीदार तेजी से ऑनलाइन लेन-देन कर रहे हैं. इस बदलाव ने ई-कॉमर्स ब्रांडों को भारत की लाखों आवाजों से सुर मिलाने और स्थानीय भाषाओं में एक कनेक्शन बनाने के लिए मजबूर किया है.

देश के प्रमुख ई-कॉमर्स ब्रांड स्नैपडील ने मेड-इन-इंडिया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Koo App पर अपने लाखों यूजर्स के साथ उनकी पसंद की भाषा में जुड़ने के लिए लॉगिन किया है. देसी भाषाओं में आत्म-अभिव्यक्ति के लिए एक मंच के रूप में कू ऐप हिंदी, बंगाली, असमिया, तेलुगू, तमिल, कन्नड़, मराठी, गुजराती, पंजाबी और अंग्रेजी में अपनी बेहतरीन सुविधाएँ प्रदान करता है. इसके अलावा, मंच की एक शानदार विशेषता अनुवाद की है जो मूल टेक्स्ट से जुड़े संदर्भ और भाव को बनाए रखते हुए यूजर्स को रीयल टाइम में कई भाषाओं में अनुवाद कर अपना संदेश भेजने में सक्षम बनाती है. यह फ़ीचर पहुंच को बढ़ाता और एक ब्रांड को ज़्यादा से ज्यादा दर्शकों से जुड़ने और अधिक दृश्यता हासिल करने में सक्षम बनाता है. इससे ब्रांड और व्यवसायों की अलग-अलग आयु-लिंग और स्थान वाले यूजर्स के साथ बातचीत होती है और उन्हें लाखों संभावित उपभोक्ताओं के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाने का मौका मिलता है. भारत की अनूठी भाषाई विविधता को पूरा करने वाले कू ऐप को 2 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है और अगले एक वर्ष में यह 10 करोड़ डाउनलोड का आँकड़ा छूने की ओर अग्रसर है.

माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराके स्नैपडील ने पूरे देश में उपभोक्ताओं के लिए ऑनलाइन शॉपिंग को सभी लिंग-आयु-स्थान वाले व्यक्तियों के लिए आसान बना दिया है. अब स्नैपडील विशेष रूप से भारी तादाद में दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों के महात्वाकांक्षी यूज़र्स तक पहुँच बनाने में सक्षम होने के साथ उनकी मातृभाषा में जुड़ेगा और डिजिटल-प्रथम अर्थव्यवस्था में सेल, डील्स और अन्य घोषणाओं के ज़रूरी अपडेट्स देगा. 

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