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मुंबई, कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में लोग अब बिना डॉक्टर की सलाह के भी कोरोना की जांच करा सकेंगे. मुंबई देश का पहला ऐसा शहर है, जहां यह अनुमति दी गई है. एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि कोरोना से जंग के लिए यह फैसला उचित है. भारत में अब तक एक करोड़ से अधिक टेस्ट हो चुके हैं, लेकिन 15 अगस्त तक 5 करोड़ लोगों की जांच करनी होगी, जिससे वायरस के बारे में अधिक जानकारी मिल सके और 1.3 अरब से अधिक लोगों की आबादी में संक्रमित ट्रेस कर आइसोलेट किये जा सकें.
विशेषज्ञों के अनुसार देश में एक दिन में एक लाख परीक्षण करने की क्षमता है, लेकिन राज्यों में प्रशासनिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ और मालिक अदर पूनावाला ने कहा कि, हम पर्याप्त टेस्टिंग नहीं कर रहे हैं. भारत के पास पर्याप्त टेस्ट किट्स हैं. हम मायलैब में हर सप्ताह बीस लाख टेस्ट कर सकते हैं और अब भारत में टेस्टिंग किट बनाने वाली कई अन्य कंपनियां हैं, लेकिन हम अभी और टेस्टिंग नहीं कर रहे हैं.
मायलैब आरटी-पीसीआर टेस्टिंग के लिए भारत का पहला स्थानीय निर्माता है और सीरम संस्थान ने इसकी क्षमता बढ़ाने में मदद की है. अमेरिका और ब्राजील के बाद दुनिया में कोविड -19 मामलों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या के साथ भारत ने प्रति मिलियन लोगों पर 7,661 परीक्षण किए हैं, जो इसकी आबादी का 0.8 प्रतिशत से भी कम है. वैश्विक तुलना की बात करें तो अमेरिका ने अपनी जनसंख्या का 11 प्रतिशत, रूस 16 प्रतिशत और यूके ने 15 प्रतिशत का परीक्षण किया है.
मायलैब ने जांच की क्षमता को बढ़ाने के लिए मंगलवार को एक मशीन लॉन्च की. इस मशीन से 1 दिन में 400 लोगों की जांच की जा सकती है. इस बाबत पूनावाला ने कहा- यह मशीन हर दिन 400 टेस्टिंग कर सकती है और इसके लिए सिर्फ 1 विशेषज्ञ की जरूरत होगी. इससे हमारी श्रमशक्ति भी बचेगी और देश में टेस्टिंग को गति मिलेगी.