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लखनऊ। केंद्र सरकार के अध्यादेश जारी होने के बाद मंडी शुल्क को लेकर प्रदेश सरकार ने नयी व्यवस्था लागू करने के निर्देश दे दिये हैं। नए आदेश के तहत अब अगर मंडी परिसर के बाहर कोई व्यापारी, मिल संचालक किसान से सीधे उसकी उपज की खरीद करता है तो उसे मंडी शुल्क नहीं देना होगा और न ही उसे मंडी समिति के लाइसेंस की आवश्यकता होगी। मंडी शुल्क कम होने से लागत घटती है जिसका पूरा लाभ उपभोक्ताओं को मिलना शुरू हो जाता है। मिल संचालक से मंडी शुल्क हटने के बाद इसके उत्पाद आटा, मैदा, सूजी, दाल, चावल, खाद्य तेल की लागत भी घटेगी। जिससे बाजार में इसकी कीमतें कम होंगी।इस बाबत विस्तृत से जानकारी देते हुए लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्र ने बताया कि इस आदेश के बाद एक तरफ किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नया विकल्प मिला है वहीं व्यापारी व मिल संचालक के उत्पाद की लागत कम होने का रास्ता भी खुल गया है। वहीं व्यापारी प्रतिनिधियों का यह भी कहना है कि इस नयी व्यवस्था से अब इंस्पेक्टर राज पर भी लगाम कसेगी। बता दें कि मंडी स्थापना का उद्देश्य और शुल्क का प्रावधान भी तभी तक था जब खरीदार मंडी परिसर की सुविधाओं का उपभोग करे। सीधी खरीद में मंडी शुल्क का कोई औचित्य ही नहीं था। इस नए निर्णय से किसानों को भी सीधा लाभ मिलेगा। भारत सरकार के निर्णय और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उसका अनुमोदन किए जाने के पश्चात उपभोक्ता को भी सस्ते मूल्य पर खाद्य पदार्थ कृषि उपज प्राप्त होने का रास्ता साफ हो गया है। मंडी परिसर से बाहर काम करने वाले सभी व्यापारी दुकानदार, फैक्ट्री मालिक, मिल मालिक, किसान आदि सभी व्यापारी पदाधिकारियों ने केंद्र व राज्य सरकार को इस व्यवस्था को शुरू करने के लिये आभार व्यक्त किया है।