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खतरा टला मगर खत्म नहीं, गहलोत सरकार संकट में

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नई दिल्ली, राजस्थान में भले ही कांग्रेस संकट से बाहर निकल गई है, मगर गहलोत सरकार पर मंडराता खतरा टला नहींं है। भाजपा को उम्मीद है कि राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जिस प्रकार तलवारें खिंची है, उसका निदान मुश्किल है। पार्टी की कर्नाटक की तर्ज पर भविष्य में सरकार बनाने की उम्मीद फिलहाल बची हुई है।
दरअसल भाजपा नेतृत्व को शुरू से ही सचिन पायलट पर गहलोत सरकार को गिराने के लिए जरूरी संख्याबल नहींं होने की आशंका थी। यही कारण है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मध्यप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान की सियासी लड़ाई में सीधे नहीं कूदा। पायलट से केंद्रीय स्तर के नेताओं ने खास दूरी बनाए रखी और यह संदेश दिया कि यह कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक है।
पायलट के भावी रुख पर नजर
एकबारगी यह लग रहा है कि गहलोत सरकार बच गई है। ऐसे में भाजपा की निगाहें अब बागी पायलट के भविष्य के रुख पर है। पार्टी यह भांपना चाहती है कि क्या पहले ही मोर्चे पर शिकस्त के बाद पायलट ने हथियार डाल दिए हैं क्योंकि कांग्रेस की ओर से उन्हें मनाने की चौतरफा कोशिश हो रही है। रणनीतिकारों को विश्वास है कि भले ही मौजूदा परिस्थितियोंं में पायलट के सुर नरम हो जाएं, मगर भविष्य की राजनीति के लिए गहलोत और पायलट के बीच एक गांठ बन गई है। ऐसे में देर सबेर फिर से ऐसा ही दृश्य सामने आएगा। तब पायलट पूरी तैयारी के साथ बगावत करेंगे।
खत्म नहीं होगा ऑपरेशन लॉटस
गहलोत के सरकार बचाने के संदेश के बावजूद भाजपा का राजस्थान में ऑपरेशन लॉटस बंद नहीं होगा। कभी कर्नाटक मेंं भी भाजपा को पहली लड़ाई मेंं मात मिली थी। सीएम पद की शपथ लेने के बाद बीएस येदियुरप्पा तमाम कोशिशों के बावजूद बहुमत हासिल नहीं कर पाए थे। हालांकि बाद में पार्टी को सत्तारूढ़ जदएस-कांग्रेस की अंदरूनी फूट का लाभ मिला। पार्टी की रणनीति अब गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय और छोटे-छोटे दलों को साधने की है।
मालवीय के ट्वीट से कयास
इस बीच भाजपा आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय के ट्वीट से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। उन्होंने गहलोत सरकार के अल्ममत में होने का दावा करते हुए उन्हें फ्लोर टेस्ट की चुनौती दी है।

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