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अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि बाघम्बरी मठ का ब्लैकमेलर ही सबसे बड़ा विलेन है या इस ब्लैकमेलर का भी कोई सरदार है, क्योंकि बाघम्बरी मठ के अंदर 20 सितंबर को जो कुछ हुआ उसका पूरा खेल 26 मई के बाद हुआ, क्योंकि ये ही वो तारीख थी. जब गुरु और चेले के बीच लंबे चले विवाद के बाद समझौता हुआ था, लेकिन ये समझौता नजर का धोखा था. मतलब नरेंद्र गिरि की मौत का पूरा रहस्य कहीं ना कहीं हरिद्वार से प्रयागराज के बीच छिपा हुआ है.
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