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यूपी के अयोध्या (Ayodhya) जिले में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की एक महिला अधिकारी ने फांसी के फंदे पर लटककर अपनी जान दे दी है. पीएनबी की महिला अधिकारी शनिवार को अपने कमरे में फंसे से लटकी पाई गईं. महिला अधिकारी द्वारा सुसाइड की जानकारी पुलिस को दी गई. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लिया. घटनास्थल से कथित तौर पर एक सुसाइड नोट मिला है. इस नोट में दो पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. अयोध्या के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश पांडे ने कहा कि मामले की जांच चल रही है.
पुलिस के अनुसार, बैंक अधिकारी का नाम श्रद्धा गुप्ता (32) था. श्रद्धा गुप्ता ने 2015 में क्लर्क के तौर पर बैंक में नौकरी शुरू की थी, इसके बाद उन्होंने विभागीय परीक्षा पास की और उनकी पदोन्नति हुई. वर्तमान में वह डिप्टी मैनेजर के पद पर तैनात थीं. श्रद्धा 2018 से फैजाबाद में पदस्थ थीं. पुलिस अधिकारी ने बताया कि श्रद्धा गुप्ता अविवाहित थीं और लखनऊ के राजाजीपुरम इलाके से थीं और अपने परिवार से मिलने वहां जाती थीं.
पुलिस ने बताया कि आज सुबह जब दूधवाला आया और उसने दरवाजा खटखटाया. अंदर से कोई जवाब नहीं पा कर उसने मकान मालिक को इसकी जानकारी दी. दरवाजा नहीं खुलने पर उन्होंने झांक कर अंदर देखा तो उसे फंदे से लटका पाया.
पुलिस अधिकारी और सिपाही को ठहराया जिम्मेदार
पुलिस ने बताया कि उन्हें एक नोट भी मिला है, जो कथित तौर पर उसका सुसाइड नोट है. जिसमें उसने एक पुलिस अधिकारी, एक कांस्टेबल और एक अन्य व्यक्ति को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. अभी यह पता नहीं चल सका है कि उसने अरोप क्या लगाए हैं.
अखिलेश का हमला
इस बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है. उन्होंने ट्वीट किया,‘‘ जिस प्रकार से अयोध्या में महिला पीएनबी कर्मचारी ने अपने सुसाइड नोट में पुलिसकर्मियों पर सीधे आरोप लगाए हैं, वह उत्तर प्रदेश में खराब कानून व्यवस्था की कड़वी सच्चाई है. यह बेहद गंभीर मुद्दा है कि इसमें एक आईपीएस अधिकारी का नाम भी सामने आ रहा है. इसकी उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए.’’
अयोध्या में पंजाब नेशनल बैंक की महिला कर्मचारी की आत्महत्या मामले में मिले सुसाइड नोट में जिस प्रकार पुलिस के लोगों पर सीधा आरोप है वो उप्र में बदहाल क़ानून-व्यवस्था का कड़वा सच है। इसमें सीधे एक आईपीएस अफ़सर तक का नाम आना बेहद गंभीर मुद्दा है।
इसकी उच्च स्तरीय न्यायिक जाँच हो।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 30, 2021
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