उत्तर प्रदेश

UP Election 2022: किस मुख्य चुनाव आयुक्त ने शुरू करवाया फोटो वाला वोटर आई कार्ड?

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उत्तर प्रदेश समेत देश के 5 राज्यों में अगले साल के शुरू में विधानसभा के चुनाव (UP Assembly Election 2022)होने हैं. मतदान के दौरान मतदाता को अपनी पहचाने बताने के लिए एक पहचान पत्र दिखाना होता है. इसे मतदाता का फोटोयुक्त पहचान पत्र (Voter Card) भी कहते हैं. चुनाव आयोग ने इस वोटर आई कार्ड के अलावा 11 और पहचान पत्रों को मान्यता दी है. इन्हें दिखाकर कोई व्यक्ति वोट डाल सकता है. आइए जानते हैं कि वोटर आई कार्ड की शुरूआत देश में कब हुई. 

किसने शुरू करवाया वोटर आई कार्ड?

देश में चुनाव सुधार की दिशा में पहल करने वालों में टीएन शेषन का नाम प्रमुख है. उन्हें 1990 में देश का 10वां मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया था. शेषन के कार्यकाल में ही देश में फोटो वाले वोटर आई की शुरुआत 1993 में की गई. वोटर आईकार्ड पहले सफेद रंग के कागज पर काले रंग से छपा होता था. लेकिन 2015 के बाद सरकार ने पलास्टिक के बने रंगीन वोटर आईकार्ड की शुरुआत की. यह कुछ-कुछ एटीएम कार्ड की साइज का होता है. 

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किसी वोटर के आईकार्ड पर उसका नाम, पिता का नाम, आयु, लिंग, जन्मतिथि, के साथ-साथ मतदाता का पता और विधानसभा क्षेत्र का क्रमांक भी दर्ज होता है. इसके अलावा कार्ड पर एक नंबर भी होगा. इसमें अंग्रेजी के अक्षर और नंबर होते हैं. इसे किसी मतदाता के नागरिकता के प्रमाण पत्र के रूप में भी देखा जाता है. इस साल 21 जनवरी से सरकार ने डीजिटल वोटर आई कार्ड की भी शुरूआत कर दी है. 

चुनाव आयोग ने वोटर आईकार्ड के साथ-साथ पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के पहचान पत्र, बैंक की तरफ से जारी किए गए फोटो वाले पासबुक, पैन कार्ड, आरजीआई और एनपीआर की ओर से जारी स्मार्ट कार्ड, मनरेगा के जॉब कार्ड, श्रम मंत्रालय की स्वास्थ्य योजनाओं के स्मार्ट कार्ड, फोटो वाले पेंशन के कागजात, विधायक, सासंद और विधानपरिषद के सदस्यों को जारी सरकारी परिचय पत्र और आधार कार्ड को भी पहचान पत्र के रूप में मान्यता दी है. 

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