उत्तर प्रदेश

यूपी: पुलिस कमिश्नरेट दो और शहरों में हो सकती है लागू, DGP कॉन्फ्रेंस में हो सकती है घोषणा

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UP News: उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय करने वाली योगी सरकार दो और शहरों में यह व्यवस्था ला सकती है. चर्चा है कि विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में दो और पुलिस कमिश्नरेट बन सकती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अधिक आबादी वाले शहरों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने की बात कहते रहे हैं. शासन के सूत्रों का कहना है कि लखनऊ में हो रही डीजीपी की नेशनल कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ही दो नए जिलों में कमिश्नरेट की घोषणा हो सकती है. जिन जिलों में कब से लागू करने का विचार किया जा रहा है उसमें गाजियाबाद, मेरठ, आगरा और प्रयागराज का नाम शामिल है.

दरअसल, डीजीपी मुख्यालय ने लखनऊ, नोएडा, वाराणसी और कानपुर पुलिस कमिश्नरेट से एक रिपोर्ट मांगी है जिसके बाद बड़ी आबादी वाले कुछ और शहरों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने की चर्चा शुरू हो गई है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही कम से कम दो और शहरों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू की जा सकती है. जिन जनपदों में कमिश्नरेट बननी है उसमें मेरठ, आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज का नाम सबसे आगे है.

डीजीपी मुख्यालय ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के 4 शहरों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद से उसके प्रभाव, कमिश्नरेट की कमियों और सकारात्मक पहलुओं, नकारात्मक पहलुओं के साथ कमिश्नरेट प्रणाली में सुधार को लेकर डीजीपी मुख्यालय ने विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है. माना जा रहा है कि डीजीपी की यह कवायद मेरठ, आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में से किसी दो शहर में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने को लेकर है. शासन और पुलिस मुख्यालय के गलियारों में यह चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 से 22 नवंबर तक लखनऊ में होने वाली डीजीपी कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहेंगे. चूंकि, प्रधानमंत्री पहले भी पुलिस अधिकारियों की कॉन्फ्रेंस में अधिक आबादी वाले शहरों में कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने की बात कह चुके हैं इसलिए इस मौके पर प्रदेश सरकार उन्हें कम से कम 2 और पुलिस कमिश्नरेट का तोहफा देने की तैयारी कर रही है.

नई कमिश्नरेट के लिए काबिल अफसरों की कमी

नई कमिश्नरेट के लिए वरिष्ठ और काबिल अफसरों की कमी है. कमीशन बनने पर संबंधित जिले में कम से कम 10 आईपीएस अफसर और 20 से 24 आईपीएस अफसर चाहिए होते हैं. सिपाही से लेकर स्पेक्टर तक का पुलिस बल भी बढ़ाना पड़ता है. तमाम संसाधन भी जुटाने पड़ते हैं. पुलिस के आला अधिकारी समय-समय पर सीनियर अफसरों की कमी का इसका हवाला देते रहे हैं, इसलिए कई बड़े शहरों में कमिश्नरेट व्यवस्था लागू नहीं हो पा रही है. बावजूद इसके राजधानी समेत चार शहरों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए योगी सरकार विचार कर रही है कि कम से कम दो और शहरों में भी इसे लागू किया जाए.

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