उत्तर प्रदेश

धामी-योगी की बैठक में यूपी-उत्तराखंड के 21 साल पुराने विवाद के निस्तारण की बनी सहमति

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

[ad_1]

UP-Uttarakhand Dispute: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच 20 हज़ार करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का मामला निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज इस मसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कालिदास मार्ग स्थित आवास पर बैठक करके सहमति बना ली है. बैठक में तय हुआ कि अगले 15 दिन में दोनों प्रदेश की सरकार सिंचाई विभाग की जमीन का संयुक्त सर्वे कराकर उसे आवश्यकतानुसार बांट लेंगी. बांध-बैराज और भवनों का मुद्दा भी हल हो गया है जबकि अलकनंदा होटल का स्वामित्व उत्तराखण्ड सरकार को हस्तान्तरित करने पर सहमति बनी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवहन विभाग और वन विभाग का बकाया चुकाने की भी बात कही है. बैठक में बनी सहमतियों के लागू होने पर 21 साल पुराने इस विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी परिसंपत्तियों का मसला निपटाने के लिए बुधवार दोपहर बाद लखनऊ पहुंच गए थे. गुरुवार सुबह उन्होंने मुख्यमंत्री आवास जाकर योगी आदित्यनाथ से परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर चर्चा की. करीब डेढ़ घंटे हुई चर्चा में पुष्कर सिंह धामी और उनके मंत्रालय ने प्रेजेंटेशन दिया जो सिंचाई विभाग और वन विभाग की जमीनों के अलावा परिवहन निगम के भवन समेत अन्य विभागों के करीब 4000 भवनों के हस्तांतरण और स्वामित्व से संबंधित था. आपसी चर्चा के बाद तय हुआ कि सिंचाई विभाग की 5700 हेक्टेयर जमीन और 1700 भवनों का अगले 15 दिन में सर्वे कराया जाएगा. यह सर्वे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार की संयुक्त टीम करेगी. सर्वे के आधार पर जमीन और भवनों का आवश्यकतानुसार वितरण व विभाजन होगा.

परिसंपत्तियों के बंटवारे से उत्तराखंड में आर्थिक प्रगति होगी- धामी

बैठक में यह भी तय हुआ कि वन विभाग के बकाया 90 करोड़ रुपये का उत्तर प्रदेश सरकार जल्द भुगतान करेगी. परिवहन विभाग के बकाया के रूप में भी 205 करोड रुपए दिए जाएंगे. परिवहन विभाग के भवनों को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की अदालतों में चल रहे सभी मुकदमे वापस लिए जाएंगे. एक महीने के भीतर-भीतर हरिद्वार का अलकनंदा होटल उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित कर दिया जाएगा. भारत-नेपाल सीमा पर बनबसा बांध और किच्छा बैराज काफी पुराने और जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं जिनका यूपी सरकार मरम्मत कराएगी. पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हरिद्वार आना है उससे पहले ही यह पूरा विवाद सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि परिसंपत्तियों के बंटवारे से उत्तराखंड में आर्थिक प्रगति होगी और वाटर स्पोर्ट्स शुरू किये जा सकेंगे.

यूपी और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का यह मसला उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने वाले दिन से ही बना हुआ है. दरअसल, राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत जब उत्तराखंड की स्थापना हुई थी, 75 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश ने अपने पास रखा था जबकि 25 फ़ीसदी उत्तराखंड को दिया था. जैसे-जैसे नवगठित राज्य में प्रगति होना शुरू हुई, जरूरतें बढ़ने लगीं और हिस्से की आवाज भी उठने लगी. अधिनियम के तहत उत्तराखंड की नदियों, तालाबों, जलाशयों पर उत्तर प्रदेश सरकार का अधिकार था जिसका उत्तराखंड सरकार को काफी खामियाजा उठाना पड़ रहा था.

केंद्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा सरकार का संयोग बनेगा संजीवनी

परिसंपत्तियों के बंटवारे का मामला पिछले कई सालों से राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. विपक्ष हमेशा इस मामले को लेकर सत्ताधारी दल पर हमला करता रहा है. चूंकि, परिसंपत्तियों के हस्तांतरण का नोटिफिकेशन केंद्र सरकार जारी करती है इसलिए जरूरी यह था कि केंद्र के साथ ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी भाजपा सरकार हो तभी इस मामले में सहमति बन सकती है. इससे पहले भी कई बार उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई लेकिन अलग-अलग राजनीतिक दलों की सरकार होने से हल नहीं निकल सका. इस बार केंद्र के साथ ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है इसलिए 21 साल पुराने इस विवाद का निष्कर्ष निकलने की उम्मीद बन गई है.

मसला हल होने पर पुष्कर सिंह धामी को मिलेगा राजनीतिक लाभ

पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की बागडोर तब सौंपी गई जब सरकार का सिर्फ 6-7 महीना ही बाकी था. ऐसे में धामी के पास सिर्फ यही एक बड़ा मसला था जिसे किसी अंजाम तक पहुंचाने पर उनका राजनीतिक कद काफी ऊंचा उठ जाता और उत्तराखंड की जनता का दिल जीतने के साथ ही वह पार्टी में छिपे हुए अपने विरोधियों पर भी भारी पड़ते. यही वजह है, धामी ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संपर्क किया. चूंकि, योगी आदित्यनाथ भी मूल रूप से उत्तराखंड के ही रहने वाले हैं इसलिए धामी ने बड़े भाई, छोटे भाई की परंपरा का निर्वहन करते हुए परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर सहमति बनाने की कोशिश की. उनकी ये कोशिश कितनी सफल होती है, यह अगले कुछ हफ्तों में सामने आ जाएगा लेकिन इतना तय है कि अगर धामी अपने प्रयास में सफल रहते हैं तो उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर कुछ और होगी.

ये भी पढ़ें :-

UP Election 2022: यूपी में बीजेपी के लिए राष्ट्रवादी माहौल बनाएगा आरएसएस, तिरंगा यात्रा और वंदे मातरम का सामूहिक गायन होगा

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड चुनाव में क्या होगी CM योगी की भूमिका? पुष्कर सिंह धामी ने दिया जवाब

[ad_2]

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button