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पांडुकेश्वर: 20 नवंबर को भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बन्द कर दिए गए हैं. जिसके बाद भगवान बदरी नारायण की पूजा शीतकालीन गद्दी स्थल पांडुकेश्वर के योग-ध्यान बदरी मंदिर में शुरू हो गई है. अब चार धाम की यात्रा करने वाले यात्री शीतकालीन गद्दिस्थल में दर्शनों का लाभ ले सकते हैं. आपको बता दें कि कपाटबंदी के बाद अब हनुमानचट्टी से आगे लोगों का आवागमन भी वर्जित हो गया है.
भगवान बदरी की शीतकालीन यात्रा हुई शुरू
बता दें कि 22 नवंबर से भगवान बदरी विशाल की शीतकालीन यात्रा का शुभारंभ हो गया है. अब यात्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ और पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मन्दिर में शीतकालीन यात्रा कर सकते हैं. और यात्रियों को भगवान बदरीनाथ के दर्शनों का लाभ शीतकालीन पूजा स्थल में पूजा कर मिल सकता है. इसके साथ ही वो अब जोशीमठ स्थित भगवान नृसिंह मंदिर और पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मन्दिर में पूजा अर्चना कर सकते हैं.
मंदिर में ये मूर्तियां भी है विद्यमान
बता दें कि नृसिंह मंदिर में भी बदरीनाथ धाम में लगने वाली पूजाएं सालभर संपादित होती है. यहां पर भगवान नृसिंह की शालिग्राम शिला पर दिव्यतम मूर्ति है. यहां पर बद्रीश पंचायत सहित अन्य मूर्तियां विद्यमान है. वहीं पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मन्दिर में भगवान वासुदेव सहित बद्रीश पंचायत भी मौजूद है. यहां पर बदरीनाथ धाम से भगवान उद्धव जी और कुबेर जी शीतकाल में यही विराजमान रहते हैं. और ये मन्दिर पुरात्तव महत्ता का मन्दिर है. यहां पर भी भगवान को नित्य भोग और पूजाएं सम्पन्न होती है.
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