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उत्तर प्रदेश के घोसी संसदीय क्षेत्र में आने वाली रसड़ा विधानसभा सीट पर भूमिहार समाज के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इस सीट पर पिछड़ी और अनुसूचित जाति के वोटर भी अहम रोल निभाते हैं. तथ्य यह है कि आज तक समाजवादी पार्टी इस सीट को कभी नहीं जीत पाई है. वहीं इस समय प्रदेश में सरकार चला रही बीजेपी केवल एक बार ही यह सीट जीत पाई है.
साल 2012 के चुनाव में सुभासपा को बीजेपी से ज्यादा वोट मिले थे. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सुभासपा ने सपा से समझौता किया है.
रसड़ा सीट पर 2017 के नतीजे
- बसपा के उमाशंकर सिंह को 92 हजार वोट.
- उमाशंकर को 48 फीसदी के करीब वोट मिले.
- बीजेपी के राम इकबाल को 58 हजार वोट.
- सपा के सनातन को 37 हजार वोट मिले.
- किसी भी निर्दलीय को 1 हजार वोट भी नहीं.
रसड़ा सीट पर 2012 के नतीजे
- बसपा के उमाशंकर जीते, 84 हजार वोट.
- सपा के सनातन को 61 हजार वोट.
- सुभासपा के तारामणि को 24 हजार वोट.
- बीजेपी के राम इकबाल को 20 हजार वोट.
- बीजेपी से ज्यादा सुभासपा को वोट मिले थे.
रसड़ा सीट का इतिहास
- 2002 से लगातार बसपा का कब्जा है.
- सपा आज तक कभी नहीं जीत पाई.
- बीजेपी को सिर्फ एक बार 1996 में जीत मिली.
- 1993 में भी बसपा को ही जीत मिली थी.
- 1989 में आखिरी बार कांग्रेस जीती थी.
- 2012 में सामान्य सीट घोषित किया गया.
- 2007 तक सुरक्षित कोटे में थी रसड़ा विधानसभा.
- घोसी संसदीय क्षेत्र में आती है विधानसभा सीट.
- भूमिहार समाज के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका.
- पिछड़ी-अनुसूचित जाति के वोटर भी अहम.
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