उत्तर प्रदेश

कानून व्यवस्था संभालने में योगी, अखिलेश व मायावती में कौन बेहतर, क्या कहते हैं आंकड़े

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रचार में सभी पार्टियां जोर-शोर से लगी हुई हैं. इसमें कानून व्यवस्था का मामला भी प्रमुखता से उठाया जा रहा है. विपक्ष योगी आदित्यनाथ की सरकार में कानून व्यवस्था को लचर बता रहा है. वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी भी आंकड़ों के हवाले से विपक्षी दलों पर हमला कर रहा है. आइए हम आंकड़ों की नजर से देखते हैं कि उत्तर प्रदेश में पिछली तीन सरकारों में कानून व्यवस्था की हालत कैसी थी. 

योगी आदित्यनाथ की सरकार में कानून व्यवस्था

तो सबसे पहले हम 2017 में आई योगी आदित्यनाथ की सरकार की बात करते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने इस साल सितंबर में 2020 के अपराध के आंकड़े जारी किए. इसलिए योगी सरकार के केवल 4 चार सालों के ही आंकड़े उपलब्ध हैं. योगी सरकार में आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 3 लाख 40 हजार 170 मामले दर्ज हुए. इनमें हिंसक वारदातों की संख्या 59 हजार 277 थी. इस दौरान हर साल अपहरण की औसतन 17 हजार 784 मामले दर्ज किए गए. वहीं चोरी की 49 हजार 874 मामले दर्ज हुए. वहीं रेप के हर साल औसतन 3 हजार 507 मामले दर्ज किए गए. वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56 हजार 174 मामले हर साल दर्ज किए गए. इसी तरह दंगों के हर साल औसतन 7 हजार 345 मामले दर्ज किए गए.  

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अखिलेश यादव की सरकार में कानून व्यवस्था

आइए अब देखते हैं कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे तो प्रदेश में किस तरह के कितने अपराध दर्ज हुए थे. अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री थे. इस दौरान आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 2 लाख 37 हजार 821 मामले दर्ज किए गए. वहीं हिंसक वारदातों के हर साल औसतन 44 हजार 39 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह अपहरण के 12 हजार 64 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं चोरी के मामले दर्ज करने का औसत हर साल 42 हजार 57 का था. इस दौरान बलात्कार के 3 हजार 264 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 36 हजार 41 मामले हर साल दर्ज किए गए. अखिलेश की सरकार में दंगों के हर साल औसतन 6 हजार 607 मामले दर्ज किए गए. अखिलेश यादव की सरकार में ही मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. 

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मायावती की सरकार में कानून व्यवस्था

अब बात करते हैं मायावती की सरकार में कानून व्यवस्था के हालत की. बसपा प्रमुख मायावती 2007 से 2012 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं. उनके कार्यकाल में आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 1 लाख 72 हजार 290 मामले दर्ज किए गए. इस दौरान हिंसक वारदातों का औसत हर साल 28 हजार 248 मामलों का था. इस दौरान अपहरण के 6 हजार 162 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. वहीं चोरी के 16 हजार 1 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. बलात्कार के औसतन 1 हजार 777 मामले हर साल दर्ज किए गए. आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 22 हजार 125 मामले दर्ज किए गए. दंगों के 4 हजार 469 मामले औसतन हर साल दर्ज किए गए. 

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