<p style="text-align: justify;">रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 35 दिनों से जंग जारी है. वहीं रूस-यूक्रेन के बीच जंग रोकने के लिए बातचीत भी जारी है. इस बीच अमेरिका ने रूस में रह रहे अपने नागरिकों को बड़ी चेतावनी दी है. अमेरिका ने कहा है कि रूस उन्हें हिरासत में ले सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">रूस-यूक्रेन के बीच जंग थमने के संकेत मिल रहे हैं. कल तुर्की में दोनों देशों के बीच बातचीत हुई है. रूस ने अपनी सेना कम करने के संकेत दिए हैं. तुर्की के इस्तांबुल में जब रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधि आमने सामने बैठे तो माहौल गर्म था, मीटिंग को लेकर दोनों देशों ने कोई गर्मजोशी नहीं दिखाई, हाथ तक नहीं मिलाया. लेकिन कई घंटे तक मंथन के बाद जो नतीजे निकले उससे दुनिया ने राहत की सांस ली. जंग के मैदान से बातचीत की मेज पर आए यूक्रेन ने रूस के सामने प्रस्ताव रखा.</p>
<ul>
<li style="text-align: justify;">सुरक्षा गारंटी मिले तो तटस्थ रहेंगे</li>
<li style="text-align: justify;">किसी सैन्य गठबंधन में शामिल नहीं होंगे</li>
<li style="text-align: justify;">अपनी धरती पर विदेशी सेना का बेस नहीं बनने देंगे</li>
<li style="text-align: justify;">परमाणु हथियार हासिल नहीं करेंगे </li>
<li style="text-align: justify;">डोनबास और क्रीमिया पर दावा नहीं करेंगे</li>
<li style="text-align: justify;">रूस भी यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन में शामिल होने का विरोध नहीं करेगा </li>
</ul>
<p style="text-align: justify;">यूक्रेन के इस प्रस्ताव पर रूस के तरफ से भी सकारात्मक पहल की गई. बातचीत के दौरान ही रूस के उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने कहा कि रूसी सुरक्षा बल कीव और चेर्नीहीव की दिशा में सैन्य गतिविधियों में कटौती करेंगे. इसके बाद ही कीव से रूसी सैनिकों को पीछे हटने की खबर भी आई. रूस और यूक्रेन के बीच हुई इस बातचीत में दो लोग मुख्य मध्यस्थ के तौर पर नजर आए, पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन और दूसरे रूसी अरबपति और यूरोप के मशहूर फुटबॉल क्लब चेल्सी के मालिक रोमन अब्रामोविच.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जेलेंस्की और पुतिन की आमने-सामने मुलाकात संभव</strong><br />बातचीत से पहले अब्रामोविच को लेकर अफवाह उड़ी थी कि इन्हें बेलारूस में हुई पिछली बैठक के दौरान जहर देकर मारने की कोशिश की गई लेकिन रूस ने तुरंत खंडन करते हुए इसे पश्चिमी देशों का प्रोपोगेंडा बताया है. इस्तांबुल में हुई बैठक में अब्रामोविच बिलकुल सही सलामत दिखे. अब्रामोविच को पुतिन का करीबी माना जाता है इसलिए इनकी मौजदूगी का मतलब था कि बैठक पर पुतिन सीधी नजर रख रहे थे. अब यूक्रेन ने जो प्रस्ताव रूस के सामने रखा है उसपर पुतिन राजी होते हैं तो जल्द ही जेलेंस्की और पुतिन की आमने-सामने मुलाकात भी हो सकती है.</p>
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