Pakistan Supreme Court Verdict: संकटग्रस्त प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के कदम की वैधता से संबंधित महत्वपूर्ण मामले पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के डिप्टी स्पीकर के फैसले को गैर संवैधानिक करार दिया गया है. इमरान खान को 9 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर पहले सत्र में वोटिंग का सामना करना होगा.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम चुनाव कराने के लिए तैयार हैं. प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति एजाज़-उल अहसन, न्यायमूर्ति मज़हर आलम खान मियांखाइल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंदोखाइल शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने आज ही सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित किया था.
फैसले से पहले इमरान खान ने कहा था कि जो भी फैसला आएगा वो मंजूर होगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले से पहले चुनाव आयोग की टीम को भी बुलाया था. सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयुक्त की टीम ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जल्द चुनाव कराना संभव नहीं हैं. वहीं इमरान खान के करीबी फवाद चौधरी ने कहा कि कुछ भी हो आखिर में चुनाव ही होना है. फैसले से पहले सुप्रीम कोर्ट के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, सुप्रीम कोर्ट के बाहर लोगों की एक झड़प की बात भी सामने आई है.
जटिल मामले में पैरवी करने के लिए विभिन्न वकील अदालत में पेश हुए थे. नईम बोखारी ने डिप्टी स्पीकर सूरी का प्रतिनिधित्व किया, इम्तियाज सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री खान का पक्ष रखा, अली जफर ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का प्रतिनिधित्व किया और अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने सरकार का प्रतिनिधित्व किया. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की ओर से बाबर अवान, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के लिए रजा रब्बानी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के लिए मखदूम अली खान पेश हुए थे.
इससे पहले राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का पक्ष रख रहे बैरिस्टर अली जफर ने अपनी दलीलें पेश कीं. खबर के मुताबिक, बंदियाल ने ज़फर से पूछा कि अगर सबकुछ संविधान के मुताबिक चल रहा है तो मुल्क में संवैधानिक संकट कहां है? एक बार तो बंदियाल ने वकील से पूछा कि वह यह क्यों नहीं बता रहे हैं कि देश में संवैधानिक संकट है या नहीं. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “अगर सब कुछ संविधान के मुताबिक हो रहा है तो संकट कहां है?”
सुनवाई के दौरान मियांखाइल ने जफर से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री जन प्रतिनिधि हैं ? तो वकील ने “हां” में जवाब दिया. मियांखाइल ने तब पूछा कि क्या संसद में संविधान का उल्लंघन होने पर प्रधानमंत्री को बचाया जाएगा? इस पर ज़फर ने जवाब दिया कि संविधान की रक्षा उसमें बताए गए नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा के लिए हर अनुच्छेद को ध्यान में रखना होगा. बंदियाल ने फिर पूछा कि तब क्या होगा जब सिर्फ एक सदस्य के साथ नहीं, बल्कि पूरी असेंबली के साथ अन्याय हो.
न्यायमूर्ति मंदोखाइल ने रेखांकित किया भले तीन अप्रैल को उपाध्यक्ष सूरी ने प्रधानमंत्री खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने की व्यवस्था दी, लेकिन उसपर हस्ताक्षर अध्यक्ष असर कैसर के हैं. ‘डान’ अखबार के मुताबिक, उन्होंने यह टिप्पणी सूरी और कैसर के वकील नईम बुखारी द्वारा मामले में उपाध्यक्ष के फैसले की वैधता को लेकर दिए गए तर्क के दौरान की.
न्यायमूर्ति मंदोखाइल ने यह भी बताया कि संसदीय समिति की बैठक के मिनट्स, जो बुखारी द्वारा अदालत को सौंपे गए थे, यह साबित नहीं करते कि डिप्टी स्पीकर मौजूद थे या नहीं. उन्होंने पूछा कि क्या संसदीय समिति की बैठक के दौरान विदेश मंत्री मौजूद थे, जिसके दौरान कथित “धमकी पत्र” की सामग्री को सांसदों के साथ साझा किया गया था, यह देखते हुए कि उनके हस्ताक्षर रिकॉर्ड में शामिल नहीं थे.
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