Pakistan Latest News: पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के नेता शहबाज़ शरीफ पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री बन गए हैं. संयुक्त विपक्ष की ओर से शहबाज शरीफ पीएम पद के उम्मीदवार बनाए गए थे. शहबाज शरीफ ने देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. शहबाज शरीफ को सीनेट के चेयरमैन ने शपथ दिलाई. शहबाज शरीफ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई हैं.
सोमवार को दिन में पाकिस्तान की संसद ने शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री चुना. उनके पक्ष में 174 वोट पड़े. वहीं इस दौरान इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के सांसद मौजूद नहीं थे. पीटीआई ने पूरी प्रक्रिया का बहिष्कार किया.
मुल्क के 22वें प्रधानमंत्री खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाया गया और वह पाकिस्तान के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाए गए पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं. इमरान खान ने 18 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. उनका 10 अप्रैल 2022 तक 1,332 दिनों का कार्यकाल रहा. इमरान खान तीन साल सात महीने और 23 दिन तक प्रधानमंत्री पद पर रहे.
वहीं दूसरी ओर इमरान खान ने पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के चुनाव से पहले ही नेशनल असेंबली के सदस्य के रूप में अपना इस्तीफा देने का फैसला किया है. यह निर्णय कथित तौर पर पीटीआई की संसदीय दल की बैठक के दौरान किया गया था. जिओ टीवी के मुताबिक सूत्रों ने इमरान खान के हवाले से कहा, हम किसी भी हालत में इस विधानसभा में नहीं बैठेंगे. उन्होंने कहा कि पीटीआई विधानसभा में उन लोगों के साथ नहीं बैठेगी, जिन्होंने पाकिस्तान को लूटा है और जिन्हें विदेशी ताकतों ने इम्पोर्ट किया है. हमने यह निर्णय उन संस्थानों को दबाव में रखने के लिए किया है, जो चाहते हैं कि यह सरकार देश चलाए, हम उन्हें जारी नहीं रहने देंगे.
सूत्रों ने कहा कि अधिकांश संसदीय दल के सदस्यों ने खान के इस्तीफे के फैसले का विरोध किया और इसके बजाय, उन्हें सलाह दी कि उन्हें मैदान खाली नहीं छोड़ना चाहिए और हर मोर्चे पर विपक्ष का डटकर सामना करना चाहिए. इस पर खान ने कहा कि यदि कोई भी सांसद इस्तीफा नहीं देता है तो वह विधानसभा से इस्तीफा देने वाले पहले सदस्य होंगे.
शहबाज शरीफ के सामने ये चुनौतियां
342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान संयुक्त विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला. शहबाज शरीफ के लिए प्रधानमंत्री पद की गद्दी बेहद कांटों भरी है. मुल्क में बढ़ती महंगाई और लचर अर्थव्यवस्था के साथ ही भारत और अमेरिका से संबंध सुधारना बड़ी चुनौती साबित होगी. पाकिस्तान में खाने-पीने की चीजें लगातार महंगी होती जा रही हैं. कुछ सामान तो आम लोगों की पहुंच से दूर हो चुके हैं.
देश पर दिनों दिन कर्ज बढ़ता जा रहा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, उसके विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 6.04 पर्सेंट की कमी आ रही है. इमरान खान के कार्यकाल में भारत औऱ पाकिस्तान के संबंध अब तक के सबसे बुरे दौर में है. इमारन के कार्य़काल में उनकी बयानबाजी की वजह से संबंध लगातार बिगड़ते गए. कभी पाकिस्तान के संबंध अमेरिका से बहुत बेहतर थे. अमेरिका पाकिस्तान की काफी मदद करता था, लेकिन पिछले 5 साल में चीजें काफी बदल गई हैं और अब दोनों देशों के संबंध सबसे बुरे दौर में हैं.
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