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आखिर खुद को क्या साबित करना चाहते हैं पुतिन? मॉस्को पर पुख्ता कब्जा या वैश्विक महाशक्ति

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Russia Ukraine Conflict: यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ रूस (Russia) की सैन्य कार्रवाई का जो खतरा कुछ हफ़्ते पहले अटकलों और बहस का विषय था, वह अब वास्तविक संघर्ष के जोखिम में बदल चुका है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का आदेश दे दिया है. साथ ही यूक्रेन की सेना से हथियार डालने का आह्वान किया है. पुतिन ने कहा है कि रूस की यूक्रेन पर कब्जा करने की कोई योजना नहीं है, लेकिन रूस किसी भी बाहरी खतरे का तुरंत जवाब देगा.

सैन्य ताकत

पुतिन के ज्यादा राजनयिक वार्ता के लिए सहमत होने के बावजूद, यह स्पष्ट है कि रूस पीछे हटने वाला नहीं है.  रूस अपनी सुधरी हुई सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करते हुए पश्चिम के साथ अपने सौदेबाजी के खेल में संघर्ष के खतरे के बावजूद आगे बढ़ने के लिए तैयार है, हालांकि इसमें वास्तविक युद्ध का खतरा है जो रूस की अपनी अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी हो सकता है.

हाल के दिनों में, रूस ने ग्रोम (या ‘‘थंडर’’) नामक अपने वार्षिक रणनीतिक परमाणु बलों के अभ्यास को अंजाम दिया. 2022 की दूसरी छमाही से उन्हें आगे लाने का निर्णय जानबूझकर किया गया कार्य प्रतीत होता है. उद्देश्य: पश्चिमी नेताओं को परमाणु महाशक्ति के रूप में रूस की स्थिति और सैन्य रूप से इसका सामना करने से जुड़े जोखिमों की याद दिलाना. साथ ही, यह घोषणा की गई कि रूस और बेलारूस इस पिछले सप्ताहांत के बाद भी अपनी संयुक्त अभ्यास गतिविधियों को जारी रखेंगे. नाटो का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 30,000 रूसी सैनिक बेलारूस में हैं.

क्रेमलिन को विश्वास है कि दस साल के सुधारों और बड़े पैमाने पर धन खर्च करने से रूसी सेना अब एक उम्रदराज, खराब-संसाधनों वाले बल से दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक में बदल गई है. इसके अलावा, रूसियों का मानना है कि न तो अमेरिका और न ही नाटो यूक्रेन पर खुले संघर्ष का जोखिम उठाएंगे. इसलिए, इस तरह से अपनी सैन्य ताकत को जारी रखते हुए, पुतिन पश्चिमी नेताओं से उम्मीद कर रहे हैं कि वे अंततः कीव में अधिकारियों पर रूस की शर्तों पर पूर्वी यूक्रेन में संकट का राजनीतिक समाधान पेश करने के लिए दबाव डालेंगे.

चीन कार्ड

शायद पुतिन की पिछली जेब में सबसे शक्तिशाली ड्रा कार्ड चीन है. जबकि रूस और चीन हाल के वर्षों में नजदीकियां बढ़ रहे हैं, ओलंपिक की शुरुआत में पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक शिखर सम्मेलन ने पश्चिमी देशों में खतरे की घंटी बजा दी. कुछ अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों ने तो यहां तक कह दिया कि यह ‘‘विश्व व्यवस्था के पुनर्गठन के बराबर’’ हो सकता है.

सबसे पहले, दोनों नेताओं ने 117 अरब अमेरिकी डॉलर के रूसी तेल और गैस को चीन भेजने के लिए एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए. यदि कोई आक्रमण होता है तो यह समझौता मास्को को रूस से यूरोप तक नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन को रोकने के अमेरिकी खतरों से संभावित नतीजों को कम करने में मदद देता है. दूसरा, संयुक्त बयान ने पश्चिम के खिलाफ रूसी रणनीतियों के लिए चीन के राजनीतिक समर्थन को औपचारिक रूप दिया. महत्वपूर्ण रूप से, पहली बार, चीन ने नाटो के विस्तार के लिए रूस के विरोध का समर्थन किया: पक्ष नाटो के और विस्तार का विरोध करते हैं और उत्तरी अटलांटिक गठबंधन से अन्य देशों की संप्रभुता, सुरक्षा और हितों का सम्मान करने के लिए अपने वैचारिक शीत युद्ध के दृष्टिकोण को छोड़ने का आह्वान करते हैं. .

सप्ताहांत में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस संदेश की पुष्टि की और पूर्वी यूक्रेन के रूसी समर्थक क्षेत्रों के राजनीतिक समाधान पर रूस के समर्थन वाले मिन्स्क समझौते का समर्थन किया. हालांकि रूस को यूक्रेन पर किसी भी संभावित आक्रमण में चीनी सैन्य सहायता की आवश्यकता नहीं है, लेकिन बीजिंग का राजनीतिक और आर्थिक समर्थन पुतिन के लिए उत्साहजनक है. बदले में, बीजिंग को मास्को से बड़ा लाभांश प्राप्त होगा.

सबसे पहले

नाटो के खिलाफ रूस का समर्थन करने के लिए सहमत होकर, बीजिंग ने ताइवान पर मास्को का फिर से समर्थन प्राप्त किया, जिसे चीन अपना क्षेत्र होने का दावा करता है. वास्तव में, चीन यूक्रेन के प्रति रूस के दृष्टिकोण को एक मॉडल के रूप में पेश करके ताइवान को हथियाने के लिए दबाव डाल सकता है, या द्वीप पर एकमुश्त आक्रमण कर सकता है.

दूसरा

चीन अब अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच नए एयूकेयूएस सुरक्षा समझौते के खिलाफ अपने संतुलनकारी खेल में रूस पर भरोसा कर सकता है.

तीसरा

शी देश में सत्ता के अपने कदमों में पुतिन के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंधों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस साल के अंत में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपनी 20वीं पार्टी कांग्रेस आयोजित करेगी, जो शी के नेतृत्व के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा. पुतिन को चीन में एक मजबूत नेता के रूप में देखा जाता है, इसलिए शी के लिए सत्ता में एक और कार्यकाल हासिल करने के प्रयास के दौरान उनका समर्थन होना महत्वपूर्ण हो सकता है. अभी के लिए, समय पुतिन के पक्ष में है, यह एक बड़ा रणनीतिक कारक है जो पश्चिम के पास नहीं है. और रूस, चीन और पश्चिम के बीच दुश्मनी जितनी गहरी होगी, बीजिंग और मॉस्को में उतनी ही नजदीकी बढ़ने की संभावना है.

परमाणु को लेकर अमेरिका कहां खड़ा है?

उधर अगर परमाणु शक्ति की बात की जाए तो अमेरिका अन्य देशों के खिलाफ परमाणु हमला बोले, तो इसे भी विनाशक प्रहार का सामना करना पड़ेगा. साथ ही जैसे-जैसे अन्य देश प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ते हैं, तब पारंपरिक सैन्य शक्ति में अमेरिका का वर्चस्व भी छोटा बन रहा है. वर्तमान में चीन और रूस आदि ने भी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान और सुपरसोनिक मिसाइल विकसित किए हैं, जिनकी कुछ तकनीक अमेरिका से कहीं अधिक है. यदि अमेरिका मनमानी से आधिपत्य वाली नीतियों का पालन करे, तो उसे निश्चित रूप से सख्ती दंडित किया जाएगा. ऐसे में रूस का वर्चस्व बढ़ेगा.

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