Vladimir Putin Plan for Ukraine: कुछ ही घंटों पहले यूक्रेन और रूस के बीच पड़ोसी मुल्क बेलारूस में बातचीत से रास्ता निकालने की कोशिश हो रही थी और आज यूक्रेन की धरती पर पुतिन वैक्यूम बम की बारिश कर रहे हैं. यूक्रेन के राजदूत ने दावा किया कि रूस यूक्रेन के खिलाफ प्रतिबंधित थर्मोबैरिक हथियार का इस्तेमाल कर रहा है. मंगलवार 1 मार्च को सबसे दर्दनाक खबर ये आई कि खारकीव में लगातार हो रही बमबारी के बीच एक भारतीय छात्र की मौत हो गई. ऐसे हमलों में लगातार आम लोगों की मौतों का सिलसिला जारी है.
समझिए क्या है पुतिन का पूरा प्लान
ये तमाम हमले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 5T प्लान का हिस्सा हैं. लेकिन लगातार घिरने के बावजूद यूक्रेन झुकने को तैयार नहीं है. रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े इस युद्ध में राष्ट्रपति पुतिन के सामने पांच विकल्प रह गए हैं. आखिर क्या है पुतिन का 5T प्लान? आइए समझते हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5T प्लान पर काम कर रहे हैं. हर टी उनके सामने एक विकल्प के तौर पर मौजूद है. सबसे पहला विकल्प है टॉक यानी बातचीत…युद्ध खत्म करने के लिए पुतिन के पास पहला विकल्प यूक्रेन से बातचीत का है. पुतिन की पहली कोशिश है कि वो बातचीत की टेबल पर यूक्रेन को राजी करके अपनी सारी शर्तें मनवा लें और युद्ध रोक दें. सोमवार 28 फरवरी को पड़ोसी मुल्क बेलारूस में दोनों देश के प्रतिनिधिमंडल बातचीत के लिए जुटे भी. लेकिन बातचीत बेनतीजा रही. दरअसल हमला रोकने के लिए राष्ट्रपति पुतिन ने तीन शर्तें रखी हैं.
- यूक्रेन किसी यूरोपीय संगठन में ना हो
- क्रीमिया पर रूस की सत्ता को मान्यता
- यूक्रेन अपनी सेना को पीछे करे
बातचीत से मामला सुलझाने की कोशिश
यूक्रेन ने ये शर्तें नहीं मानी हैं. लेकिन बातचीत से पुतिन अब मामला सुलझाना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें युद्ध में हर रोज सवा लाख करोड़ खर्च करने पड़ रहे हैं. जो लंबे वक्त तक संभव नहीं है. यूरोपीय देशों ने रूस के सेंट्रल बैंक के 45 लाख करोड़ रुपए सीज कर दिए हैं. इस फैसले से रूस की अर्थव्यवस्था पर संकट खड़ा हो गया है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूस की करेंसी रूबल निचले स्तर पर पहुंच गई है. रूस में कैश की मांग बड़ गई है और महंगाई मुंह फाड़ रही है.
राष्ट्रपति पुतिन के पास दूसरे विकल्प के तौर पर कीव पर कब्जे की रणनीति है. कीव पर कब्जा करके पुतिन अपनी पंसद की सरकार बनवा लें. ये विकल्प पुतिन को इसलिए सूट करता है, क्योंकि मौजूदा जेलेंस्की सरकार पश्चिमी देशों की समर्थक है. यूक्रेन नाटो की सदस्यता चाहता है और पुतिन किसी भी कीमत पर ये होने नहीं देना चाहते. कीव यूक्रेन की राजधानी है. राजधानी पर कब्जा हुआ तो यूक्रेन पर कब्जा हो जाएगा. इसलिए रूस ने कीव को घेरने के लिए अपने सारे घोड़े खोल दिए हैं.
ट्रिक से यूक्रेन को तोड़ने की कोशिश
वो कहते हैं ना कि जंग जीतने के लिए हर तरह के दांव आजमाए जाते हैं. पुतिन भी इस तीसरे विकल्प के तौर पर ट्रिक का इस्तेमाल कर सकते हैं और वो ट्रिक होगी यूक्रेन को दो हिस्सों में तोड़ देने की. दरअसल रूस कीव पर कब्जा भले ना कर पाया हो, लेकिन अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा कर रहा है. मिसाल के तौर पर रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था और युद्ध से ठीक पहले पुतिन ने यूक्रेन के पूर्वी हिस्से के दो राज्यों डोनेत्सक और लुहांस्क को आजाद मुल्क घोषित कर दिया है. यानी तीन हिस्से पुतिन के पास हैं और अब पुतिन क्रीमिया पर रूसी संप्रुभता को मान्यता देने की शर्त भी रख रहे हैं. यानी यूक्रेन को दो हिस्सों में तोड़कर उसे कमजोर कर सकते हैं और खुद को मजबूत किया जा सकता है.
घातक हथियारों का इस्तेमाल
राष्ट्रपति पुतिन चौथे विकल्प के तौर पर ट्रिगर का इस्तेमाल कर रहे हैं. ट्रिगर यानी घातक हथियारों का इस्तेमाल. हमने पहले ही बताया था कि पुतिन अपने परमाणु हथियार दस्ते को अलर्ट पर रखने का निर्देश जारी कर चुके हैं. कल परमाणु बल को अलर्ट किया और आज वैक्यूम बम के इस्तेमाल की खबर आई. पुतिन घातक हथियार का इस्तेमाल करके यूक्रेन को घुटनों पर लाना चाहते हैं. अब ये प्रेशर बनाने की बात है और अब ये प्रेशर बिल्ड हो रहा है. प्रेशर बिल्ड किया जा रहा है कि अगला राउंड ऑफ टॉक जब भी कहीं होता है, उस प्रेशर का असर दिखे और जो रशिया चाहता है उस पर मंजूरी हो जाए.
यूक्रेन समर्थकों देशों को टारगेट की पॉलिसी
पुतिन के पास पांचवां विकल्प समर्थक देशों के खिलाफ युद्ध का ऐलान करना है. अमेरिका और यूरोपियन यूनियन समेत कई देश यूक्रेन के समर्थन में खड़े हैं. वो रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे रूस की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है. रूस की हालत खराब है और इस हालात में वो जवाब देने के लिए पांचवें विकल्प के तौर पर टारगेट का इस्तेमाल कर सकता है. टारगेट यानी उन मुल्कों के खिलाफ पुतिन युद्ध का ऐलान कर दें जो यूक्रेन को समर्थन दे रहे हैं और फिर हालात आर-पार की लडा़ई के बन जाएंगे.