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असम में सांप की एक नई प्रजाति का भारत, ब्रिटेन और अमेरिकी वैज्ञानिकों की टीम ने पता लगाया है. उसकी गर्दन के पिछले हिस्से पर एक अलग बिंदी जैसा निशान दिखाई देता है. 100 साल बाद पूर्वोत्तर राज्य में इस तरह की पहली खोज है. भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून, प्राकृतिक इतिहास का संग्रहालय, लंदन और टेक्सास यूनिवर्सिटी, ऑस्टिन के वैज्ञानिकों की खोज की खबर न्यूजीलैंड से प्रकाशित Zootaxa के ताजा संस्करण में हुआ है.
100 साल बाद असम में सांप की नई प्रजाति की खोज
नई प्रजाति का नाम अद्भुत लाल निशान की वजह से ‘रबडोफिस बिंदी’ रखा गया है. भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के अभिजीत दास कहते हैं, “प्रजाति का नाम उसकी गर्दन के पिछले हिस्से पर अनोखे लाल निशान के कारण रखा गया है, जो भारतीय महिला की लाल सुंदरता ‘बिंदी’ की याद ताजा कराती है.” उन्होंने आगे बताया, “हालांकि अधिकतर जीव जंतु की खोजें अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम से हैं, लेकिन असम से रबडोफिस बिंदी की खोज दिखाता है कि इस तरह की अनदेखी प्रजातियों का अस्तित्व क्षेत्र के अच्छी तरह से खोजे गए हिस्से में हो सकता है.”
गर्दन के पिछले हिस्से पर अलग बिंदी जैसा है निशान
असम के कछार जिला में 2007 के सर्वे में पहली बार प्रजाति के नमूना को दास ने ही पाया था. दास कहते हैं, “2007 से उसको एक नई प्रजाति के तौर पर वर्गीकृत करने में 14 साल लग गए क्योंकि हमें नई प्रजाति की विभिन्न देशों की दूसरे सभी संबंधित प्रजातियों से तुलना करना और दुनिया भर के नमूनों का रिसर्च करना था. प्रजाति की जेनेटिक परीक्षण करने में भी समय लगा.” आकृति विज्ञान के मुताबिक, नई प्रजाति की लंबाई करीब 60 सेंटीमीटर से 80 सेंटिमीटर है. ये पूर्वोत्तर के हिमालयन रेड नेकेड कीलबैक से मिलता-जुलता है. हालांकि, मालूम पड़ता है कि नई प्रजाति सदाबहार जंगल की तराई में रहता है. दूसरी तरफ हिमालयन रेड नेकेड कीलबैक केवल 600 मीटर ऊपर की ऊंचाई में पाया गया है. असम में खोजी गई सांप की पिछली प्रजाति लाल धारीदार थी, जिसे 1910 में ब्रिटिश सर्प विशेषज्ञ फ्रैंक वॉल के जरिए ऊपरी असम के इलाके में पाया गया था.
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