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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ी सफलता : अब बहरीन ने दी इजरायल को मान्यता

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रियाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पश्चिम एशिया में शांति लाने के प्रयास रंग लाते दिख रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात के बाद बहरीन ने भी इजरायल को मान्यता देने और संबंधों को सामान्य बनाने पर अपनी सहमति दे दी है।

ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और बहरीन के शाह हमद बिन अल खलीफा के साथ बात की है। इस बातचीत के बाद तीनों नेताओं ने एक 6 पैराग्राफ का संयुक्त बयान जारी किया है जिसमें इस डील का ऐलान किया गया।

बहरीन-इजरायल डील के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, आज एक और ऐतिहासिक सफलता। दोनों देशों के बीच इस डील का ऐलान अमेरिका पर 11 सितंबर को हुए आतंकी हमले के 19 साल पूरे होने के दिन किया गया। ट्रंप एक सप्ताह बाद ही वाइट हाउस में यूएई और इजरायल के बीच डील को लेकर एक समारोह का आयोजन करने जा रहे हैं। बहरीन के विदेश मंत्री भी इस ऐतिहासिक समारोह में मौजूद रहेंगे।

विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ट्रंप को यह एक और राजनीतिक जीत मिली है जिससे वह इजरायल समर्थक ईसाइयों को अपने पाले में ला सकेंगे। पिछले सप्ताह ही ट्रंप ने कोसोवो के इजरायल को मान्यता देने और सर्बिया के तेलअवीव से यरूशलम में दूतावास के ले जाने की सहमति देने की घोषणा की थी। ट्रंप, नेतन्याहू और किंग हमद ने कहा, यह ऐतिहासिक सफलता है जो पश्चिम एशिया में शांति को बढ़ावा देगी।

तीनों नेताओं ने कहा, दो बहुआयामी समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के बीच में सीधे संवाद शुरू करना और संबंधों को बढ़ावा देना पश्चिम एशिया में सकारात्मक बदलाव लाएगा। इससे इलाके में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि बढ़ेगी। बता दें कि यूएई की तरह से बहरीन-इजरायल डील दोनों देशों के बीच राजनयिक, सुरक्षा, व्यावसायिक और अन्य संबंधों को बढ़ावा देगी।

बहरीन और सऊदी अरब ने पहले ही इजरायली यात्री विमानों को अपने एयर स्पेस के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। इस डील में ट्रंप के दामाद जेरेड कुश्नर ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, पश्चिम एशिया के देश यूएई-इजरायल डील पर बहुत तेजी से अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आशा करता हूं कि अभी आगे भी यह जारी रहेगा। इस डील से एक बार फिर से फलस्तीन को करारा झटका लगा है जो इजरायल के साथ संबंध बहाल करने का विरोध करता रहा है। हालांकि इजरायल-बहरीन डील में फलस्तीन के मुद्दे के न्यायोचित समाधान की बात कही गई है।

इस डील के बाद बहरीन ऐसा चौथा अरब देश बन गया है जिसने इजरायल को मान्यता दी है। इससे पहले मिस्र, जॉर्डन और यूएई ने इजरायल को मान्यता दी थी। अभी सऊदी अरब इजरायल से पूरी तरह से संबंध सुधारने से परहेज कर रहा है। यूएई की तरह से बहरीन ने कभी भी इजरायल के खिलाफ युद्ध नहीं लड़ा है। हालांकि बहरीन ने इजरायल के वर्ष 1967 में फलस्तीनी जमीन पर कब्जा करने के बाद से उसके साथ अपने राजनयिक संबंध को खत्म कर लिया था।

मात्र 760 वर्ग किलोमीटर में फैले बहरीन को ईरानी हमले का डर सता रहा है। इसी वजह से उसने अमेरिकी और ब्रिटिश सैन्य अड्डे को अपने यहां पर अनुमति दी है। ईरान से तनाव की वजह यह है कि यहां की आबादी ज्यादातर शिया है लेकिन यहां पर वर्ष 1783 से ही सुन्नी अल खलीफा परिवार के शासक रहे हैं। ईरान ने एक बार बहरीन पर कब्जा करने का प्रयास किया था लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। बहरीन के शासकों ने आरोप लगाया है कि ईरान उग्रवादियों को हथियार दे रहा है। माना जा रहा है कि साझा शत्रु ईरान से निपटने के लिए बहरीन ने इजरायल के साथ हाथ मिलाया है।

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