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पीएम इमरान खान की कुर्सी बच पाना अब मुश्किल, ये है पाक नेशनल असेंबली का पूरा गणित

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पाकिस्तान में इमरान खान सरकार की स्थिरता को लेकर संकट पूरी तरह से गहरा गया है. फ्लोर टेस्ट से पहले ही इमरान खान को बड़ा झटका लगा है. इमरान खान सरकार में सहयोगी पार्टी एमक्यूएम (MQM) के दो मंत्रियों ने कैबिनेट से इस्तीफा देकर विपक्ष से समझौता कर लिया है. 8 मार्च को विपक्षी दलों द्वारा नेशनल असेंबली सचिवालय के सामने अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद से पाकिस्तान में सियासी उठापटक जारी है. अविश्वास प्रस्ताव को लेकर 31 मार्च को सदन में बहस होगी. हालांकि बहुमत परीक्षण के पहले ही सरकार की सहयोगी पार्टी MQM ने पीपीपी से समझौता कर लिया है जिसके बाद इमरान सरकार ने बहुमत खो दिया है.

फ्लोर टेस्ट से पहले इमरान ने खोया बहुमत!

8 मार्च को विपक्षी दलों द्वारा नेशनल असेंबली सचिवालय के सामने एक अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था जिसके बाद से इमरान खान की कुर्सी पर खतरा बरकरार है. देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है. प्रस्ताव पर मतदान 3 अप्रैल को होना है. इससे पहले 31 मार्च को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी. 

पाकिस्तान नेशनल असेंबली का गणित

पाकिस्तान नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य हैं. इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 155 सदस्य हैं. इसका मतलब है कि उन्हें सत्ता बनाए रखने के लिए कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है. इमरान ने गठबंधन की सरकार बनाकर इस अंतर को पाट दिया था. सत्तारूढ़ सरकार ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (Q)- 5 सीट, बलूचिस्तान अवामी पार्टी – 5 सीट, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान – 7 सीट, ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस – 3 सीट और अवामी मुस्लिम लीग- 1 सीट और इंडिपेंडेट सदस्यों के साथ पीटीआई के नेतृत्व वाला गठबंधन बनाया था. इन पार्टियों और स्वतंत्र सदस्यों के समर्थन से खान की सरकार को 179 सदस्यों का बहुमत प्राप्त था.

पाकिस्तान स्थित दैनिक डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त विपक्ष ने अब तक 169 सदस्यों का समर्थन हासिल कर लिया है. इससे उन्हें नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल करने और इमरान खान को प्रधानमंत्री के पद से हटाने के लिए जरूरी 172 वोटों में से तीन ही कम रह गए हैं इसलिए एमक्यूएम-पी का फैसला अहम माना जा रहा है.

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