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संकट के बीच श्रीलंका में विपक्ष लाएगा अविश्वास प्रस्ताव, साजिथ प्रेमदासा ने किया ये दावा

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<p style="text-align: justify;">भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका इन दिनों अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. वहां पर हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि वहां पर आम आदमी का रहना मुश्किल हो गया है. साल 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;">श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेबी ने शुक्रवार को कहा कि यदि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे जनता की चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठाने में यदि विफल रहते हैं तो वह उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.&nbsp;ऐसे में एबीपी न्यूज ने श्रीलंका के नेता प्रतिपक्ष साजिथ प्रेमदासा से बात की और श्रीलंका के मौजूदा हालात के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की है. ये रहे उनसे किए गये सवाल जवाब…</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल:</strong> मौजूदा आर्थिक संकट की मुख्य वजह क्या मानते हैं?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब:</strong> सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन की वजह से GDP में राष्ट्रीय आय 2 से 3% तक गिर गई. &nbsp;अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने हमारी रैकिंग गिरा दी. इस वजह से हम पूंजी के लिए विदेशी बाजार में नहीं जा पाए और जरूरी वस्तुओं के लिए विदेशी मुद्रा भंडार पर निर्भर हो गए.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल:</strong> सरकार विरोधी माहौल है तो क्या राजपक्षे सरकार के हटने का समय आ गया है?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब</strong>: देश के आम लोगों की भावना संसद में मेल नहीं खा रही. देश क्रांतिकारी बदलावों की मांग कर रहा है. लेकिन सरकार ऐसे व्यवहार कर रही है मानों सबकुछ सामान्य हो. जबकि देश में असामान्य स्थिति है. खाने की चीजों के दाम 30% तक बढ़ गए हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है. निर्यात गिर रहा है. हमारी मुद्रा का कुप्रबंधन का शिकार है. सरकार कुप्रबंधन में अव्वल है. उनके पास समाधान नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल:</strong> राष्ट्रपति हटने को तैयार नहीं, विपक्ष की रणनीति होगी?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब:</strong> विपक्ष लोकतांत्रिक तरीके से अपना काम कर रहा है. हम लोगों के पक्षधर हैं और उनकी उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. हम लोकतांत्रिक तरीके से कोशिश करते रहेंगे जब तक देश को राजनीतिक स्थिरता और प्रभावी आर्थिक प्रबंधन मुहैया नहीं करा देते.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल:</strong> क्या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाएगा ?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब:</strong> संविधान ने संसदों को कई अधिकार दिए हैं. हम अविश्वास प्रस्ताव की कवायद में जुटे हैं. अन्य तरीके भी हैं. सबके लिए लोकतंत्र और विकास जरूरी है ना कि कुछ के लिए!</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल:</strong> विपक्ष साझा सरकार में शामिल क्यों नहीं होता ?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब:</strong> इसकी वजह है संविधान का 20 वां संशोधन जिसने राष्ट्रपति को अकूत अधिकार सौंप दिए हैं जिससे सत्ता का असंतुलन हो गया है. ऐसे असंतुलन के साथ न्याय की उम्मीद नहीं है. इसलिए हम संवैधानिक सुधार की मांग कर रहे हैं. लोगों की संप्रभुता की रक्षा जरूरी है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल:</strong> मौजूदा हालात के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भरता जिम्मेदार?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब:</strong> सरकार लोगों के लिए नीतियां बनाती है. मैं किसी अंतर्राष्ट्रीय साथी को दोषी नहीं ठहराऊंगा लेकिन किसी भी समझौते के लिए दोनों पक्षों का राजी होना जरूरी है. सरकार द्वारा नीतियों में गलत प्राथमिकता रखना, इस हालत के लिए जिम्मेदार है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल:</strong> भारत के प्रधानमंत्री मोदी से क्या उम्मीदें हैं?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब:</strong> घरेलू राजनीति के परे अपनी मातृभूमि के लिए मैं हमेशा खड़ा रहा हूँ. भारत में किए गए कार्यों के कारण मैं प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा प्रशंसक हूँ. हमें तत्काल मदद की जरूरत है. भारत ने काफी मदद की है जिसके लिए हम कृतज्ञ हैं. मैं पीएम मोदी से कहना चाहूंगा कि मेरे देश के सवा दो करोड़ लोग काफी कठिनाई का सामना कर रहे हैं, आप मदद जारी रखिए.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सवाल:</strong> अविश्वास प्रस्ताव का क्या भविष्य होगा ?&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवाब:</strong> ज्यादातर सांसदों को वापस जनता के बीच ही जाना है. अगर वो लोकतांत्रिक तरीके से व्यवहार करेंगे तो यकीनन अविश्वास प्रस्ताव कामयाब हो जाएगा. लेकिन अगर वो अपने हितों को प्राथमिकता देंगे तो हो सकता है कि हम कामयाब ना हो पाएं लेकिन सावधानीपूर्वक उम्मीद है कि सांसदों को सद्बुद्धि आएगी.&nbsp;</p>
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